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एक लौ - आमिर (2008)

फिल्म : आमिर संगीतकार : अमित त्रिवेदी गीतकार : अमिताभ भट्टाचार्य गायक : शिल्पा राव और अमिताभ गर्दिशों में रहती, बहती गुज़रती, ज़िंदगियाँ हैं कितनी इनमें से एक है, तेरी मेरी या कहीं, कोई एक जैसी अपनी पर ख़ुदा ख़ैर कर, ऐसा अंजाम किसी, रूह को ना दे कभी यहाँ गुंचा मुस्कुराता एक, वक़्त से पहले क्यों, छोड़ चला तेरा ये जहाँ एक लौ इस तरह क्यों बुझी मेरे मौला एक लौ ज़िन्दगी की मौला एक लौ इस तरह क्यों बुझी मेरे मौला एक लौ ज़िन्दगी की मौला धूप के उजाले से, ओस के प्याले से, खुशियाँ मिले हमको ज़्यादा माँगा है कहाँ, सरहदें ना हो जहाँ, दुनिया मिले हमको पर ख़ुदा ख़ैर कर, उसके अरमान में क्यों, बेवजह हो कोई कुर्बां गुंचा मुस्कुराता एक, वक़्त से पहले क्यों, छोड़ चला तेरा ये जहाँ एक लौ इस तरह क्यों बुझी मेरे मौला एक लौ ज़िन्दगी की मौला एक लौ इस तरह क्यों बुझी मेरे मौला एक लौ ज़िन्दगी की मौला एक लौ इस तरह क्यों बुझी मेरे मौला एक लौ ज़िन्दगी की मौला एक लौ इस तरह क्यों बुझी मेरे मौला एक लौ ज़िन्दगी की मौला एक लौ इस तरह क्यों बुझी मेरे मौला एक लौ ज़िन्दगी की मौला एक लौ इस तरह क्यों ...

फँस गया (Never Mind) - आमिर (2008)

फिल्म : आमिर संगीतकार : अमित त्रिवेदी गीतकार : अमिताभ भट्टाचार्य गायक : न्यूमन पिंटो Hooooo ... N-n-n-n-n-never mind, never mind तकदीरें दौड़ती रफ़्तार में पटरी पे वक़्त की कतार में हैरत के मंज़र ये दिखलाती है आपस में जब भी ये टकराती है क्या तूने सोचा था, क्यूँ होगा हो गया पिंजरे में यूँ दाखिल तू होगा हो गया फँस गया, फँस गया Whoa oh oh never mind, फँस गया, फँस गया Whoa oh oh never mind. कुछ हादसों की यह ज़ंजीर है टुकडों में होने की तस्वीर है कब्ज़े में आये जो, वो ही सही ये तेरी बारी थी, तू ही सही क्या तूने सोचा था, क्यूँ होगा हो गया पिंजरे में यूँ दाखिल तू होगा हो गया फँस गया, फँस गया Whoa oh oh never mind, फँस गया, फँस गया Whoa oh oh never mind. ज-ज-जैसे थामे कोई डोर अंजाम खींचे अपनी ओर छटपटा के तू रह जायेगा इस रात का ना कोई भोर लम्हे ये दो धारी तलवार है तुझे चीरने को जो तैयार है क्या तूने सोचा था, यूँ होगा हो गया पिंजरे में यूँ दाखिल तू होगा हो गया फँस गया, फँस गया Whoa oh oh never mind, फँस गया, फँस गया Whoa oh oh never mind. (Trumpe...

हारा - आमिर (2008)

फिल्म : आमिर संगीतकार : अमित त्रिवेदी गीतकार : अमिताभ भट्टाचार्य गायक : अमित त्रिवेदी बशर बशर हर डगर डगर पर (डगर डगर पर, डगर डगर पर) बिखर बिखर कर उमर उमर भर (उमर उमर भर, उमर उमर भर) हारा, हारा, हारा, हस्ती धुन्धलाये हारा, हारा, हारा, ना कहीं मिट जाए तितर बितर हर पहर पहर डर (पहर पहर डर, पहर पहर डर) कहर कहर ढाए ठहर ठहर कर (ठहर ठहर कर, ठहर ठहर कर) हारा, हारा, हारा, ये कहीं दहलाए हारा, हारा, हारा, डसती ही जाए ओ काली हवाएं हर साँस दबोचे (साँस दबोचे, साँस दबोचे) ओ सारे जिस्म हर तार को नोचे (तार को नोचे, तार को नोचे) ओ निशाना, निशाना, निशाना ताने हुए साये, ये साये, हैं साये खड़े हुए बशर बशर हर डगर डगर पर (डगर डगर पर, डगर डगर पर) बिखर बिखर कर उमर उमर भर (उमर उमर भर, उमर उमर भर) हारा, हारा, हारा, हस्ती धुन्धलाये हारा, हारा, हारा, ना कहीं मिट जाए

चक्कर घुम्यो - आमिर (2008)

फिल्म : आमिर संगीतकार : अमित त्रिवेदी गीतकार : अमिताभ भट्टाचार्य गायक : अमित त्रिवेदी ढींग टांग टांग, ढींग टांग टांग टिडिंग टिंग, ढींग टांग टांग अरे चलते चलते हाय हाय हल्लू हल्लू दायें बाएं हो अरे देखूं आएं बाएं साएँ ज़िन्दगी की झाएँ-झाएँ हो अरे निकले थे कहाँ को और किधर को आये के चक्कर घुम्यो अरे पल्ले कुछ पड़े ना कोई समझाए के चक्कर घुम्यो अरे घुम्यो रे ... हाय घुम्यो, रे घुम्यो चक्कर घुम्यो हाय हाय घुम्यो रे घुम्यो घुम्यो रे घुम्यो चक्कर घुम्यो अरे ले फूटी, किस्मत की फूटी मटकी रे फूटी, ठोकर लागी तो चिटकी खेल कबड्डी लागा, खेल कबड्डी लागा भूल के दुनियादारी यारा खेल कबड्डी लागा नींद खुली तो जागा नींद खुली जो हाय के चक्कर घुम्यो पल्ले कुछ पड़े ना कोई समझाए के चक्कर घुम्यो अरे घुम्यो रे ... हाय घुम्यो, रे घुम्यो चक्कर घुम्यो हाय हाय घुम्यो घुम्यो घुम्यो घुम्यो घुम्यो घुम्यो घुम्यो चक्कर घुम्यो ढींग टांग टांग, ढींग टांग टांग टिडिंग टिंग, ढींग टांग टांग चिक्कोटी वक़्त ने काटी ऐसी चिक्कोटी खुन्नस में तेरी सटकी छींक मारे लागा, छींक मारे लागा झाडा सच को ध...

हा रहम (महफूज़) - आमिर (2008)

फिल्म : आमिर संगीतकार : अमित त्रिवेदी गीतकार : अमिताभ भट्टाचार्य गायक : मुर्तज़ा कादिर, अमिताभ और अमित त्रिवेदी अल्लाह ... आनी जानी है कहानी बुलबुले सी ज़िंदगानी बनती कभी बिगड़ती तेज़ हवा से लड़ती, भिड़ती हा रहम, हा रहम, फ़रमाए ख़ुदा हा रहम, हा रहम, फ़रमाए ख़ुदा महफूज़ हर कदम करना ऐ ख़ुदा, ऐ ख़ुदा महफूज़ हर कदम करना ऐ ख़ुदा, ऐ ख़ुदा अल्लाह ... साँसों की सूती डोर अनूठी जल जाएगी, जल जाएगी बंद जो लाए थे हाथ की मुट्ठी खुल जाएगी, खुल जाएगी क्या गुमान करे काया ये उजली मिट्टी में मिल जाएगी चाहे जितनी शमाएँ रोशन कर ले धूप तो ढल जाएगी, जाएगी हा रहम, हा रहम, फ़रमाए ख़ुदा हा रहम, हा रहम, फ़रमाए ख़ुदा महफूज़ हर कदम करना ऐ ख़ुदा, ऐ ख़ुदा महफूज़ हर कदम करना ऐ ख़ुदा, ऐ ख़ुदा सोने चमक में, सिक्कों खनक में मिलता नहीं, मिलता नहीं धूल के ज़र्रों में ढूंढे कोई तू मिलता वहीँ, मिलता वहीँ क्या मजाल तेरी मर्ज़ी के आगे बन्दों की चल जाएगी थामे ऊँगली जो तू, कठपुतली भी चाल बदल जाएगी, जाएगी हा रहम, हा रहम, फ़रमाए ख़ुदा हा रहम, हा रहम, फ़रमाए ख़ुदा महफूज़ हर कदम करना ऐ ख़ुदा, ऐ ख़ुदा ...